
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठनके अध्यक्ष एस सोमनाथ ने मंगलवार को कहा कि सौर मंडल के सबसे चमकीले ग्रह शुक्र के लिए मिशन पहले से ही कॉन्फ़िगर किया जा चुका है और भविष्य के उद्देश्य के लिए पेलोड विकसित किए गए हैं. इसरो प्रमुख सोमनाथ ने नई दिल्ली में भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी को संबोधित करते हुए कहा कि संकल्पनात्मक चरण में हमारे पास बहुत सारे मिशन हैं. शुक्र के लिए एक मिशन पहले से ही कॉन्फ़िगर किया जा चुका है. इसके लिए पेलोड पहले ही विकसित हो चुके हैं. इसरो अध्यक्ष ने आगे कहा कि शुक्र एक दिलचस्प ग्रह है और इसकी खोज से अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में कुछ सवालों के जवाब देने में मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा कि शुक्र एक बहुत ही दिलचस्प ग्रह है. इसका भी एक माहौल है. इसका वातावरण बहुत सघन है. वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी से 100 गुना अधिक है और यह अम्लों से भरा है. आप सतह में प्रवेश नहीं कर सकते. आप नहीं जानते कि इसकी सतह कठोर है या नहीं. हम यह सब समझने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? पृथ्वी एक दिन शुक्र बन सकती है. मुझें नहीं पता. शायद 10,000 साल बाद हम (पृथ्वी) अपनी विशेषताएं बदल दें. पृथ्वी ऐसी कभी नहीं थी. बहुत समय पहले यह रहने योग्य जगह नहीं थी. शुक्र सूर्य से दूसरा ग्रह है और पृथ्वी का निकटतम पड़ोसी ग्रह है. यह चार आंतरिक, स्थलीय (या चट्टानी) ग्रहों में से एक है, और इसे अक्सर पृथ्वी का जुड़वां कहा जाता है क्योंकि यह आकार और घनत्व में समान है. हाल के वीनस मिशनों में ईएसए का वीनस एक्सप्रेस (जो 2006 से 2016 तक परिक्रमा कर रहा था) और जापान का अकात्सुकी वीनस क्लाइमेट ऑर्बिटर (2016 से परिक्रमा कर रहा है) शामिल हैं.
नासा के पार्कर सोलर प्रोब ने शुक्र ग्रह के कई चक्कर लगाए हैं. 9 फरवरी, 2022 को, नासा ने घोषणा की कि अंतरिक्ष यान ने फरवरी 2021 की अपनी उड़ान के दौरान अंतरिक्ष से शुक्र की सतह की पहली दृश्यमान प्रकाश तस्वीरें ली थीं. इस बीच देखा जाए तो इसरो ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान 3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग करने के बाद सूर्य के अभूतपूर्व विस्तार अध्ययन करने के लिए आदित्य-एल1 मिशन लॉन्च किया. केवल छह दशकों में, भारत तेजी से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अन्वेषण में वैश्विक अग्रणी के रूप में उभरा है, जिसका श्रेय इसरो को जाता है.