
इस साल रथ सप्तमी 07 फरवरी दिन सोमवार को है. रथ सप्तमी को माघ शुक्ल सप्तमी को मनाया जाता है. इस दिन को सूर्य जयंती (Surya Jayanti) के नाम के साथ ही अचला सप्तमी (Achala Saptami) भी कहा जाता है. इस खास दिन पर भक्त विधि विधान के साथ भगवान सूर्य देव की पूजा-अर्चना करते हैं, ताकि प्रभु खुश होकर उनपर अपनी कृपा करें. इस दिन अगर पूजा के दौरान अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सूर्य मंत्रों (Surya Mantra) का जाप किया जाए, तो फल मिलता है. इस दिन मंत्रों के जाप से आपको आरोग्य, संतान, सुख, धन एवं धान्य की प्राप्ति हो सकती है. ऐसे में आइए जानते हैं रथ सप्तमी को सूर्य देव के प्रभावशाली मंत्रों के बारे में-
रथ सप्तमी 2022 प्रभावशाली सूर्य मंत्र
1. आरोग्यदायक सूर्य मंत्र
ॐ नम: सूर्याय शान्ताय सर्वरोग निवारिणे। आयुररोग्य मैस्वैर्यं देहि देव: जगत्पते।।
2. सूर्य बीज मंत्र
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
3. पुत्र प्राप्ति के लिए सूर्य मंत्र
ॐ भास्कराय पुत्रं देहि महातेजसे। धीमहि तन्नः सूर्य प्रचोदयात्।।
4. मनोकामना पूर्ति सूर्य मंत्र
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
5. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ओम
6. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
7. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:
सूर्य पूजा का महत्व
रथ सप्तमी के दिन आपको प्रात: काल में उठकर स्नान करने के बाद पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए. कहते हैं कि सूर्य देव की पूजा करने से हर तरह के शारीरिक रोग दूर हो जाते हैं, ऐसे में प्रभु से उत्तम स्वास्थ्य की कामना करें.सूर्यदेव सभी ग्रहों में श्रेष्ठ माने जाते हैं, ऐसे में कुंडली में सूर्य से पिता के संबंध का ज्ञान किया जाता है. यही कारण है कि माना जाता है कि अगर पिता से संबंध खराब हों तो सूर्य देव की पूजा करें इससे रिश्तों में मधुरता आती है.
इसके साथ ही माना जाता है कि जिस किसी की भी कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत स्थिति में होता है, उन लोगों को कार्यक्षेत्र में यश और कीर्ति प्राप्त होती है औऱ वह जीवन में यश और सफलता का स्वाद चखते हैं. वे अपने कार्यक्षेत्र में सभी के प्रिय भी रहते हैं.
कैसे करनी चाहिए रथ सप्तमी की पूजा
इस दिन सुबह स्नान करने के उपरांत सबसे पहले सूर्योदय के समय सूर्य भगवान को अर्घ्यदान देना.इस जल में थोड़ा सा गंगाजल, लाल फूल आदि डाल लें. इसके बाद घी के दीपक और लाल फूल, कपूर और धूप के साथ सूर्य भगवान की पूजा करें और प्रभु के सामने व्रत का संपकल्प लेकर कष्टों से मुक्ति की प्रार्थना करनी चाहिए.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)