
चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो की दुनियाभर में चर्चा हो रही है। इसरो की सफलता के साथ उसके सामने नई चुनौतियां भी झेलनी पड़ रही है। इसरो अपने रूटीन काम के साथ ही अंजान दुश्मनों से भी अलग मोर्चे पर लड़ाई कर रहा है। इसरो चीफ एस सोमनाथ ने इसके बारे में विस्तार से बताया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चीफ ने कहा कि देश की अंतरिक्ष एजेंसी को प्रतिदिन 100 से अधिक साइबर हमलों का सामना करना पड़ रहा है। इसरो प्रमुख केरल के कोच्चि में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय साइबर सम्मेलन c0c0n के 16वें संस्करण के हिस्सा लेने पहुंचे थे।
कैसे साइबर हमले से निपटता है इसरो
टीओआई से बात करते हुए, सोमनाथ ने कहा कि केवल इसरो ही नहीं, बल्कि कई अन्य सिस्टम (अन्य संगठनों के) को सैकड़ों साइबर (हैकिंग) प्रयासों का सामना करना पड़ता है। लेकिन हमारे कई सुरक्षा उपायों - हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों - के जरिये ऐसे प्रयासों को रोक दिया गया है। वे किसी भी साइबर प्रयास की सुरक्षा के लिए हैं। सोमनाथ ने कहा कि एक साइबर प्रयास तभी हमला बनता है जब वह सुरक्षा प्रणाली को भेदने में सफल होता है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। इसरो के पास ऐसे प्रयासों का सामना करने के लिए एक मजबूत सुरक्षा नेटवर्क है। हमारे पास कई फायरवॉल और सुरक्षा तंत्र हैं। इसलिए, इन सभी प्रयासों को एक बिंदु से आगे बढ़ने की अनुमति नहीं है और ये हमारे फायरवॉल की बाहरी परत पर ही रुक जाते हैं।
रॉकेट टेक्नोलॉजी में साइबर अटैक की आशंका
सोमनाथ ने आगे कहा कि साइबर हमलों की आशंका रॉकेट टेक्नोलॉजी में बहुत अधिक है। यह अल्ट्रा-आधुनिक सॉफ्टवेयर और चिप-आधारित हार्डवेयर का उपयोग करता है। इसरो प्रमुख ने बताया कि सॉफ्टवेयर की व्यापक जांच करने के अलावा, इसरो रॉकेट के अंदर हार्डवेयर चिप्स की सुरक्षा को वेरिफाई करने के लिए टेस्ट करता है। उन्होंने कहा कि पहले एक उपग्रह की निगरानी करने का तरीका सॉफ्टवेयर के जरिये एक समय में कई उपग्रहों की निगरानी करने के तरीके में बदल गया है।
साइबर सुरक्षा है जरूरी
इसरो प्रमुख ने कहा कि इन सभी की सुरक्षा के लिए साइबर सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि उन्नत तकनीक एक एक ही समय में वरदान और खतरा दोनों है। उन्होंने कहा कि हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीक का इस्तेमाल कर साइबर अपराधियों की तरफ से पेश की गई चुनौतियों का सामना उसी तकनीक से कर सकते हैं। इस दिशा में शोध और कड़ी मेहनत होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसरो इस तरह की साइबर हमलों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार रहता है।
तकनीक से बदली स्थिति
इसरो चीफ ने कहा कि नई तकनीक आने के साथ ही इस सेक्टर की ग्रोथ का पता चलता है। उन्होंने कहा कि कोविड के दौरान, रिमोट जगह से लॉन्च करना संभव था। यह तकनीक की विजय को दर्शाता है। सोमनाथ ने आगे कहा कि विभिन्न प्रकार के उपग्रह हैं जो नेविगेशन, रखरखाव आदि के लिए शाखाएं बनाते हैं। इसरो प्रमुख ने कहा कि इनके अलावा, आम लोगों के दैनिक जीवन में मदद करने वाले उपग्रह भी मौजूद हैं। इन सभी को विभिन्न प्रकार के सॉफ्टवेयर के जरिए कंट्रोल किया जाता है।