
यूक्रेन युद्ध को लेकर नाटो देशों के साथ चल रहे तनाव के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने परमाणु हथियारों को लेकर बड़ा फैसला किया है। पुतिन ने गुरुवार को उस कानून पर हस्ताक्षर कर दिया जिसमें रूस के सीटीबीटी संधि से हटने का ऐलान था। पुतिन के हस्ताक्षर के साथ ही रूस अब इस व्यापक परमाणु परिक्षण निषेध संधि यानि सीटीबीटी से हट गया है। इसके साथ ही अब इस बात की आशंका बढ़ गई है कि रूस अब परमाणु बमों का परीक्षण करने जा रहा है। रूस ने सीटीबीटी से हटने का ऐलान ऐसे समय पर किया है जब अमेरिका चीन और रूस को लक्ष्य करके नया न्यूक्लियर ग्रेवेटी बम बना रहा है।इससे पहले पुतिन ने ऐलान किया था कि साल 2000 में साइन किए गए सीटीबीटी संधि से रूस का हटना केवल अमेरिका का जवाब है जिसने सीटीबीटी पर हस्ताक्षर तो किया था लेकिन उसको मंजूरी कभी नहीं दी। रूस की संसद के दोनों ही सदनों ने पिछले महीने एकमत से इस सीटीबीटी संधि से हटने को मंजूरी दी थी। इसके बाद उसे पुतिन के पास अंतिम मंजूरी के लिए भेजा गया था। रूसी अधिकारियों ने कहा है कि इस संधि से हटने का मतलब यह नहीं है कि रूस फिर से परमाणु बमों का परीक्षण करेगा।
रूस ने नाटो देशों के पास तैनात किए एटम बम
हालांकि रूसी अधिकारियों ने यह भी कहा कि अगर अमेरिका परमाणु परीक्षण करता है तो वह भी ऐसा करेगा। रूस भले ही दावा कर रहा हो लेकिन पश्चिमी विश्लेषक मास्को के इस फैसले को बड़े संदेह की दृष्टि से देख रहे हैं। पुतिन ने इससे पहले अक्टूबर में कहा था कि वह इस बात पर कोई चर्चा नहीं करेंगे कि रूस परमाणु परीक्षण करेगा या नहीं। दरअसल, यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से ही पुतिन कई बार पश्चिमी देशों को खुलेआम परमाणु धमकी दे चुके हैं। यही नहीं रूस ने अपने परमाणु बम बेलारूस में भी तैनात किए हैं जिसकी सीमा नाटो देशों पोलैंड, लिथुआनिया और लाटविया से लगती है।रूस के इस फैसले से नाटो देश दहशत में हैं। इससे पहले अक्टूबर में रूस के सरकारी टीवी चैनल आरटी की संपादक मार्गरिटा सिमोनयान ने कहा था कि रूस को पश्चिमी देशों को चेतावनी देने के लिए साइबेरिया में परमाणु बम का परीक्षण करना चाहिए। उनके इस बयान के बाद बवाल मच गया था। बाद में रूसी राष्ट्रपति कार्यालय ने इस बयान को खारिज कर दिया। इससे पहले अक्टूबर महीने में ही रूस ने जमीन, हवा और समुद्र से परमाणु हमले का अभ्यास किया था और खुद पुतिन इसके गवा बने थे।