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दुनिया का सबसे बड़ा रहस्य है शांतिकुंज का 96 साल से जल रहा ये दीपक

दुनिया का सबसे बड़ा रहस्य है शांतिकुंज का 96 साल से जल रहा ये दीपक

जन आस्था के सबसे बड़े केन्द्र शांतिकुंज में साल 1926 की वसंत पंचमी को जलाया गया दीपक 96 साल बीत जाने के बाद भी आज जल रहा है, जिसका दर्शन मात्र से दर्शनार्थियों के मन की मुराद पूरी होने लगती है। तब से लेकर अब तक इसका सैकड़ो, हजारों लोग रोज दर्शन करने आते हैं। गायत्री मंदिर शांतिकुंज के महर्षि विश्वामित्र के तपःस्थली में स्थापित है। यहाँ भी नित्य सबेरे व सायं आरती होती है, जिसमें सैकड़ों लोग आरती में भाग लेते हैं।

सप्तऋषियों की मंदिर

शांतिकुंज से जुड़ा हुआ है सप्तऋषियों की मंदिर। सप्तऋषियों की अवधारणाओं का पालन में भी शांतिकुंज जुटा है। यहाँ भी लोग नित्य पूजा अर्चना करते हैं। करोडों गायत्री परिवार के आस्था का केन्द्र है गायत्री परिवार के संस्थापक युगऋषि परम पूज्य गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी एवं माता भगवती देवी शर्मा जी की समाधि स्थल। प्रखर प्रज्ञा एवं समाधि स्थल के नाम से यह विख्यात है। लोग इसे समाधि स्थल भी कहते हैं। यहाँ नित्य हजारों लोग अपने मन की मुराद पूरी करने प्रार्थना करते हैं। यहाँ नित्य सामूहिक साधना होती है। जिसमें बडी संख्या मे लोग कोरोना नियमों का पालन करते हुए प्रार्थना करते हैं।

शांतिकुंज यज्ञशाला
जून 1971 में  स्थापना से पूर्व जब गायत्री परिवार के संस्थापक आचार्य जी अपने गुरु स्वामी सर्वेश्वरान्द जी बुलावे पर हिमालय यात्रा में गये थे, तब उनकी धुनी से अग्नि लेकर आये थे। उसी अग्नि से प्रज्वलित यज्ञशाला की अग्नि है। कहा जाता है यह अग्नि करीब सात सौ वर्ष पुरानी है। जो अब तक अखण्ड है। यहाँ भी कोई भी भारतीय वेशभूषा यानि पुरुष धोती एवं महिला साड़ी या सूट पहनकर भाग ले सकता है। शांतिकुंज की स्थापना से लेकर अब तक इस यज्ञशाला में नियमित रूप से यज्ञ होते आ रहा है। इन दिनों की यज्ञ की संचालन शांतिकुंज में रहने वाली बहिनें की संभालती हैं।

गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में नियमित रूप से माताजी का भोजनालय चलता है। यहाँ रहने वाले और आने वाले कोई भी परिजन भरपेट प्रसाद ले सकता है। जो स्थापना काल से अब तक नियमित से चल रहा है। कभी भी बंद नहीं हुआ। हां दोस्तो एक बात और आपको बता दूं अब तक उत्तराखण्ड में आये विपदा में शांतिकुंज परिवार ने सबसे पहले भोजन प्रसाद पहुंचाने के लिए जाने जाते हैं। समय समय पर प्रशासन की मांग पर इसी भोजनालय से भोजन प्रसाद बनाकर निःशुल्क भेजा जाता है। शांतिकुंज के एक विभाग है संस्कार विभाग। जहाँ विश्व के किसी भी कोने से कोई भी व्यक्ति संस्कार कराने के लिए कभी भी आ सकता है। बशर्तें इसके लिए पहले से यहाँ से परमिशन ले लीजिए। यहाँ सारे संस्कार निःशुल्क कराये जाते हैं। 

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