
नई दिल्ली : माघ मास की गिनती पुण्यदायी मासों में की जाती है। इस माह में पवित्र नदियों में स्नान करके दान करने का बड़ा महत्व होता है, लेकिन कई लोग यह बात नहीं जानते किइस पूरे माह में धार्मिक साहित्य, धार्मिक ग्रंथों का योग्य लोगों को दान करना अति पुण्यदायी होता है। विशेषकर इस माह की अमावस्या, एकादशी और पूर्णिमा के दिन धार्मिक साहित्य का दान अवश्य करना चाहिए।
’व्रतैर्दानस्तपोभिश्च न तथा प्रीयते हरिः।
माघमज्जनमात्रेण यथा प्रीणाति केशवः।।’
अतः सभी पापों से मुक्ति एवं भगवान की प्रीति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ-स्नान व्रत करना चाहिए। इसका प्रारम्भ पौष की पूर्णिमा से होता है। माघ मास की ऐसी विशेषता है कि इसमें जहाँ कहीं भी जल हो, वह गंगाजल के समान होता है। इस मास की प्रत्येक तिथि पर्व हैं। कदाचित् अशक्तावस्था में पूरे मास का नियम न ले सकें तो शास्त्रों ने यह भी व्यवस्था की है तीन दिन अथवा एक दिन अवश्य माघ-स्नान व्रत का पालन करें। इस मास में स्नान, दान, उपवास और भगवत्पूजा अत्यन्त फलदायी है।
माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी 'षटतिला एकादशी' के नाम से जानी जाती है। इस दिन काले तिल एवं काली गाय के दान का भी बड़ा माहात्म्य है। तिल मिश्रित जल से स्नान, तिल का उबटन, तिल से हवन, तिलमिश्रित जल का पान एवं तर्पण, तिलमिश्रित भोजन और तिल का दान, ये छह कर्म पाप का नाश करने वाले हैं। माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 'मौनी अमावस्या' के रूप में प्रसिद्ध है। इस पवित्र तिथि पर मौन रहकर अथवा मुनियों के समान आचरणपूर्वक स्नान दान करने का विशेष महत्त्व है। मंगलवारी चतुर्थी, रविवारी सप्तमी, बुधवारी अष्टमी, सोमवारी अमावस्या, ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं। इनमें किया गया स्नान, दान एवं श्राद्ध अक्षय होता है।
1 फरवरी- मौनी अमावस्या
2 से 10 फरवरी- गुप्त नवरात्र
12 फरवरी- जया एकादशी
16 फरवरी- माघ पूर्णिमा
कौन से साहित्य दान से क्या लाभ
माघ माह में वैसे तो सभी प्रकार के वेद, पुराण, चालीसा, भगवद्गीता, स्तोत्र आदि की पुस्तकों का दान किया जा सकता है। ये पुस्तकें विशेषकर उन लोगों को दी जानी चाहिए जिनमें कुछ धार्मिक आस्था हो, जो पढ़ने योग्य हों। श्रीमद्भगवद्गीता का दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इसके अलावा चारों वेदों, 18 पुराणों में से किसी एक का दान, श्रीभागवत महापुराण, देवी भागवत, दुर्गा सप्तशती, गणपति अथर्वशीर्ष, गणेश पुराण, शिव महापुराण, शिव चालीसा, समस्त देवी-देवताओं के स्तोत्र आदि की पुस्तकें दान करना चाहिए। इन साहित्य का दान करने से देवी-देवताओं को प्रसन्न करने से लेकर पितरों तक का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। माघ मास में गुप्त नवरात्र आती है इसलिए देवी महापुराण, दुर्गा सप्तशती की पुस्तकों का दान करना चाहिए। पुस्तकों की संख्या अपनी क्षमता के अनुसार तय की जा सकती है।
माघ शुक्ल पंचमी अर्थात् 'वसंत पंचमी' को माँ सरस्वती का आविर्भाव-दिवस माना जाता है। इस दिन प्रातः सरस्वती-पूजन करना चाहिए। पुस्तक और लेखनी (कलम) में भी देवी सरस्वती का निवास स्थान माना जाता है, अतः उनकी भी पूजा की जाती है। शुक्ल पक्ष की सप्तमी को 'अचला सप्तमी' कहते हैं। षष्ठी के दिन एक बार भोजन करके सप्तमी को सूर्योदय से पूर्व स्नान करने से पापनाश, रूप, सुख-सौभाग्य और सदगति प्राप्त होती है।